हिंदी साहित्य विभिन्न प्रकार के खजानों से भरा हुआ है , Riti Siddhant भी इन्ही में से एक है, परन्तु जब इसका नाम आता है तो प्रश्न सबसे पहले आता है की Riti Siddhant Ke Praneta Kaun Hai.
दोस्तों आज इस पोस्ट में हम लोग Riti Siddhant के ऊपर चर्चा करने वाले हैं. साथ ही साथ Riti Siddhant (रीति सिध्दांत) के इतिहास बारे में भी बहुत कुछ जानेंगे. तो आगे बढ़ते हैं एवं इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं.
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Riti Siddhant Ke Praneta Kaun Hai
आइये Riti Siddhant के बारे में विस्तार में जाने से पहले Riti Siddhant Ke Praneta के बारे में जान लेते हैं. इस प्रश्न का सही उत्तर है आचार्य वामन. आचार्य वामन को रीति सिद्धांत के प्रणेता के रूप में जाना जाता है. आचार्य वामन ने रीति को काव्य शास्त्र की आत्मा का नाम दिया था. इतिहासिक प्रमाणों के आधार पर हम तर्क पूर्वक कह सकते हैं की रीति सिद्धांत के प्रणेता आचार्य वामन थे.
Riti Siddhant क्या है एवं Riti Siddhant Ke Praneta Kaun Hai
अब हम जानने की कोशिश करते हैं की Riti Siddhant (रीति सिध्दांत) क्या है, इसका क्या महत्वः है एवं इतिहासिक तथ्यों को जानने का प्रयत्न करते हैं.
अगर रीति शब्द की बात करें तो इसका अर्थ होता है शैली या ढंग, प्रकार, प्रणाली या प्रवृति. मुनिश्री भरतमुनि के अनुसार रीति वह है जो पृथ्वी के नाना देशों के वेश, भाषा तथा आचार की वर्ता को व्यक्त करें. उसका नाम प्रवृति हैं। भारतवर्ष की प्रमुख इतिहासिक आचार्यों ने , जिन्होंने अपने काव्य एवं रचनाओं में रीति का उल्लेख किया है वो इस प्रकार है-
- भरतमुनि
- भामह
- दण्डी
- रूद्रट
- आनन्दवर्धन
- राजशेखर
- कुन्तक
- मम्मट
- विश्वनाथ
इन सभी विद्वानों ने अपने अपने काव्य एवं रचनाओं में रीति की महत्वता को समझया है.
वर्तमान काल में भी जाने माने साहित्यकार डॉ नगेन्द्र अपनी पुस्तक ’रीति काव्य की भूमिका’ में रीति का विवरण कुछ इस प्रकार किया है –
रीति शब्द और अर्थ के आश्रित रचना चमत्कार का नाम है जो माधुरऔर प्रसाद गुणों के द्वारा चित्र को द्रवित, दीप्त और परिव्याप्त करती हुयी रस दशा तक पहुँचाती है.
Riti Siddhant के प्रमुख अंश
आइये अब हम Riti Siddhant (रीति सिध्दांत) के प्रमुख अंशों को ध्यान से देखते हैं जो रीति सिधांत को उसके अपने रूप में बनाते हैं .
भावुकता एवं भक्ति: रीति सिद्धांत के अनुसार, साहित्य का मुख्य उद्देश्य मानवीय भावना को उत्कृष्ट रूप में प्रदर्शित करना होता है. भक्ति एवं प्रेम साहित्य के मूल तत्व या भाव होते हैं. रीति सिद्धांत के कवियों ने इन भाव को सर्वोच्च माना है एवं अपनी रचनाओ में प्रमुख स्थान दिया है.
नायिका-नायक भाव: Riti Siddhant के कवियों ने साहित्य में नायिका-नायक के भाव को महत्वपूर्ण बताया है. प्रेम और विरह के भाव नायिका एवं नायक के मध्य संबंध को उजागर करते हैं. इन्हें भी रीति सिद्धांत के कवियों ने अपनी रचनाओ में सर्वोच्च माना है.
नैतिकता और समाजिक मूल्य: रीति सिद्धांत के कवियों ने नैतिकता, शिष्टाचार, एवं समाजिक मूल्यों को साहित्य में प्रमुखता दी है. कवियों के अनुसार, उनकी रचनाएँ समाज की अच्छाई एवं दुर्बलता को स्पष्ट करने के लिए कविताएं रची गयी हैं ताकि लोगो के सामने एक आदर्श रहे.
प्राकृतिक वातावरण: Riti Siddhant के कवियों ने प्रकृति को भी अपने साहित्य में प्रमुख स्थान दिया है. प्राकृतिक सौंदर्य, मौसम, पुष्प, पेड़, पौधों की चित्रणा कविताएं रीति सिद्धांत के मुख्य विषयों में से एक है.
बंधुत्व और भ्रातृभाव: रीति सिद्धांत के कवियों ने मानव-मानव के बंधुत्व एवं भ्रातृभाव को भी अत्यंत महत्वपूर्ण बताया है. उन्होंने मानवीय संबंधों के माध्यम से समरसता एवं एकता को उजागर किया है. मानव एक सामाजिक प्राणी है एवं समाज में उसे मानवता के भाव के साथ ही रहना चाहिए, यही Riti Siddhant की प्रमुख शिक्षाओं में से एक है.
यह सब अंश मिलाकर Riti Siddhant को उसके अपने प्रभावशाली रूप में लेकर आती हैं .
वक्रोक्ति सिद्धांत क्या है ? इसकी परिभाषा एवं वर्गीकरण को जानने के लिए पढ़ें
निष्कर्ष : Riti Siddhant Ke Praneta Kaun Hai
हम कथन पूर्वक बोल सकते हैं की रीति का काव्य शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्थान है एवं आपके प्रश्न के उत्तर यानि की Riti Siddhant Ke Praneta Kaun Hai का उत्तर है आचार्य वामन को रीति सिद्धांत के प्रणेता के रूप में जाना जाता है.
FAQs regarding Riti Siddhant Ke Praneta Kaun Hai
आइये अब कुछ प्रश्नों को देखते हैं जो हम लोग रीति सिद्धांत के बारे में जानने की चाह रखते हैं
रीति सिद्धांत के प्रवर्तक कौन थे?
जैसा की ऊपर बतया गया है आचार्य वामन को रीति सिद्धांत के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है.
Riti siddhant ke bhed या Riti siddhant ke prakar के बारे में बताएं.
हालाकि अलग अलग आचार्यों ने रीति सिद्धांत के अलग अलग भेद बताये हैं परन्तु हम लोग यहाँ सिर्फ आचार्य वामन द्वारा बताये गए भेद की चर्चा करते हैं.आचार्य वामन ने रीति के तीन भेद तय किये हैं– वैदर्भी रीति, गौडी रीति, पाञ्चाली रीति
रीति सिद्धांत का महत्व बताएं.
भारतीय काव्य शास्त्र में रीति का अत्यधिक महत्व बताया गया है एवं इसे काव्य की आत्मा के रूप में जाना जाता है. ज्यादा जानकारी के लिए ऊपर दी गयी पोस्ट को देखे.
Riti Siddhant Ki Paribhasha kya hai?
रीति की परिभाषा या अर्थ होता है शैली या ढंग, प्रकार, प्रणाली या प्रवृति.
Riti Siddhant Ke Pravartak Kaun the?
आचार्य वामन को रीति सिद्धांत के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है.
Riti Siddhant Ki Pramukh Sthapna किसने की थी?
आचार्य वामन ने रीति सिद्धांत की स्थापना की थी.
Riti Siddhant Ki Uplabdhi Kya Hai?
Riti Siddhant को काव्य की आत्मा बताया गया है ज्यादा जानकारी की लिए ऊपर दी गयी पोस्ट को ध्यान से पढ़े.
रीति सिद्धांत के बारे में आप यहाँ भी देख सकते हैं-
उम्मीद करते हैं की आपको आपके प्रश्न यानि की Riti Siddhant Ke Praneta Kaun Hai, का उत्तर मिल गया होगा. अधिक जानकारी के लिए कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछना ना भूलें.
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