आज कल आप हर कहीं एक शब्द जरुर सुन रहे होंगे, वह शब्द है Common Civil Code. आज हम जानेगे की Common Civil Code Kya Hai. सामान्य नागरिक संहिता या Common Civil Code से तात्पर्यं भारत में एक ऐसी कानूनी प्रणाली लाना है है जो सभी धर्मों के लोगों के लिए एक समान नागरिक संहिता रखे. भारत में सामान्य नागरिक संहिता के लिए बहुत सारे लोगो के बहुत सारे विचार हैं एवं आज हम इसी पर चर्चा करने वाले हैं.
दोस्तों आज हम लोग बात करने वाले हैं Common Civil Code के बारे में. आपको बताएंगे की इसकी परिभाषा क्या है, इसके फायदे क्या हैं एवं इसका विरोध क्यों हो रहा है?
तो आइये इसकी परिभाषा एवं अन्य विवरण के बारे में जानते हैं.
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Common Civil Code Kya Hai
Common Civil Code या यूनिफॉर्म सिविल कोड का हिंदी में अर्थ समान नागरिक सहिंता है. अर्थात सभी नागरिको के लिए एक ही प्रकार के कानून होने चाहिए. यानि की देश के सभी नागरिको को, बिना उनके धर्म, जाति एवं सम्प्रदाय के आधार पर भेदभाव करते हुए, एक ही प्रकार के कानूनों का पालन करना होगा.
भारत एक धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता वाला देश है, जिसमें अनेक धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं, और जातियों के लोग रहते हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसके विभिन्न पहलुओं पर विभिन्न लोगो की अलग अलग राय है.
अगर आप कानून के जानकार नहीं हैं तो आपको जानकर हैरानी होगी की हमारे देश के कानून लोगो के धर्म, जाति एवं सम्प्रदाय के आधार पर बटे हुए हैं. तो अगर कोई आपसे पूछे की Common Civil Code Kya Hai तो इसका अर्थ यही है क्योंकि भारत देश एक धर्म निरपेक्ष देश है अतः समान नागरिक सहिंता के अंतर्गत देश के समस्त नागरिको को एक ही कानून के दायरे में लाना है.
अभी के समय में हिंदू, मुस्लिम, सिख एवं बोद्ध धर्म में शादी, तलाक़, सम्पति, गोद लेना एवं उतराधकारी के संबंध मे अलग अलग कानून हैं.
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Common Civil Code का इतिहास : Common Civil Code Kya Hai
आइये अब Common Civil Code के इतिहास के बारे में जानने की कोशिश करते हैं. ब्रिटिश शासन काल के दौरान 1772 में ब्रिटिश शासको ने अपनी सभी कॉलोनी (जिनमे भारत देश भी शामिल था) की जनता के लिए एक प्रकार के कानून लाने का प्रयत्न किये, इसे Hastings Plan के नाम से जाना जाता है.
Hastings Plan में ब्रिटिश कानूनों को मुख्यतः आधार बनाकर स्थानीय कानूनों का आदर करते हुए एक क़ानूनी ढांचा को बनाया गया था. इस प्रक्रिया में सभी समकालीन इस्लामिक सिविल एवं क्रिमिनल को हटाकर पुरे भारतवर्ष के लिए ब्रिटिश कानूनों को लागु किया गया, जो की कुछ कानूनों को छोडकर काफी हद तक समान नागरिक सहिंता को ही दर्शाते थे. इनमे पर्सनल कानूनों को शामिल नहीं किया गया था जिनमें मुख्यतः सम्पति उतराधिकारी एवं शादी विवाह कानूनों को अभी भी धर्म, जाती एवं सम्प्रदाय के आधार पर ही सुलझाया जाता था. अतः Common Civil Code Kya Hai यह प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमे इसके इतिहास को जानना अति आवश्यक है.
हालाकि भारत के आज़ादी के समय पर सविधान के निर्माण के समय समान नागरिक सहिंता का जिक्र किया गया था. भारतीय संविधान के भाग 4, अनुच्छेद 44 में यह निर्देशित है की आगे आने वाली सरकारों को समान नागरिक सहिंता को लागु करने की तरफ़ कार्य करना होगा किन्तु विभिन्न सामाजिक वर्गो द्वारा विरोध के कारण इन्हें लागु नहीं किया जा सका.
सविधान के निर्माण के दौरान भी विभिन्न व्यक्तियों में इसको लेकर भेद थे. आइये विभिन्न व्यक्तियों की राय के बारे में जानते हैं –
बाबासाहब भीमराव अंबेडकर:
बाबासाहब भीमराव अंबेडकर को कौन नहीं जानता. इन्हें भारतीय संविधान के निर्माता कहा जाता है. डॉ. बाबासाहब अंबेडकर का मानना था कि सामान्य सिविल कोड के लागू होने से सभी धर्मो के नागरिकों के लिए एक व्यवस्था का निर्माण होगा एवं यह राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देगा. उनके हिसाब से यह एक धर्म निरपेक्ष नियमक तंत्र के रूप कार्य करेगा.
डॉ. अंबेडकर को सामाजिक न्याय, सभी के लिए समानता एवं सभी के विकास के पक्षधर के रूप में जाना जाता है. उन्होंने अपने जीवन के दौरान दलितों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए लड़ाई लड़ी एवं उन्हें समाज में स्थान दिलाने के लिए अधिकार दिलवाएं. उन्होंने संविधान समिति के प्रमुख सदस्य के रूप में जाना जाता है. भारतीय संविधान को तैयार करने में इनका अहम योगदान था. संविधान के निर्माण में उनका योगदान सामाजिक न्याय, समानता और भारतीय नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के पक्ष में रहा.
बाबासाहब भीमराव अंबेडकर सामान्य नागरिक संहिता के पक्षधर थे, उनका मानना था कि इससे सभी नागरिकों को समान अधिकार होने चाहिए इस से समाज में समानता की भावना आएगी. उनके अनुसार, एक सामान्य नागरिक संहिता भारतीय समाज में विभिन्न सामाजिक जातियों और धर्मों के लोगों के बीच एकता और समानता को बढ़ावा देगी.
जवाहरलाल नेहरू:
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सामान्य सिविल कोड के खिलाफ थे. इनका मानना था कि सामान्य सिविल कोड धर्म के खिलाफ होगा. उन्होंने कहा था कि सभी धर्मों की इतिहास अलग अलग है, इनकी संरचना और संगठन भी भिन्न-भिन्न समाजों के लिए अलग-अलग होती है, अतः सभी पर समान कानून लागू नहीं किये जा सकते.
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संविधान समिति के प्रमुख सदस्य के रूप में थे. उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण के समय भारतीय समाज में विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक, और भौगोलिक समृद्धियों को समझते हुए उन्होंने सामान्य नागरिक संहिता के पक्ष में नहीं खड़े होने का फैसला किया था.
सय्यद अहमद खान:
सय्यद अहमद खान एक राजनेता थे जो भारतीय स्वतंत्रता के समय में एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सय्यद अहमद खान का मानना था कि सामान्य सिविल कोड भारत के धर्म निरपेक्षता के मौलिक सिधांत के खिलाफ होगा, अतः इसे लागू नहीं किया जाना चाहिये.
के. एल. गौड़ा:
के. एल. गौड़ा (K. L. Gaur) एक भारतीय राजनेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता थे जो भारतीय संघ के सदस्य थे. उन्होंने अपने जीवन भर महिला शिक्षा, सामाजिक समरसता, और सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित किया था. के. एल. गौड़ा भारतीय संवैधानिक थे जो संविधान समिति के सदस्य भी थे. उनका मानना था कि एक सामान्य सिविल कोड का निर्माण धर्म निरपेक्षता के मूल्य को बढ़ावा देगा और समान नागरिकों के लिए एक प्रकार की न्याय प्रणाली बनाएगा, अतः इसे लागू किया जाना चाहिये.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद:
डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान समिति के अध्यक्ष थे और भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे. 14 सितंबर 1951 को राष्ट्रपति प्रसाद ने प्रधानमंत्री नेहरु को पत्र लिखा था जिसमे उन्होंने कहा था की सिर्फ हिन्दुओं के लिए हिन्दू कोड बिल लाने का विरोध करते हुए कहा था कि अगर जो प्रावधान किये जा रहे हैं वो ज्यादातर लोगों के लिए फायदेमंद और लाभकारी हैं तो सिर्फ एक समुदाय के लोगों के लिए क्यों लाए जा रहे हैं बाकी समुदाय इसके लाभ से क्यों वंचित रहें. उनका मानना था कि एक सामान्य सिविल कोड सभी धर्मो एवं नागरिकों के लिए एक प्रकार के न्याय एवं कानून लागू करने में मदद करेगा, अतः इसे लागू किया जाना चाहिये.
यूनिफॉर्म सिविल कोड के फ़ायदे
Common Civil Code Kya Hai इस प्रश्न के उत्तर को हम जान तो गए है, पर अब देखते हैं की क्या यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थक इसके क्या फायदे बताते हैं.
- अलग अलग धर्म के कानूनों के कारण देश की न्याय पालिका पर पड़ने वाला बोझ कम होगा. इससे लंबित मामलों का निपटरा जल्दी होगा.
- महिलाओं की स्थिति में नीसंदेह ही सुधार होगा. इसका मुख्य कारण है की कुछ धार्मिक कानूनों की वज़ह से महिलाओं को कम अधिकार दिए गए हैं, अगर सभी के लिए समान Civil Code लागु किये जाते हैं तो समस्त भारत की महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त होंगे एवम महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार होगा.
- यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थकों का मानना है की देश के सभी नागरिको को अगर समान अधिकार दिए जाते हैं तो इस से सभी नागरिको में देश के प्रति देशभावन बढ़ेगी एवं देश तरक्की को प्राप्त होगा.
- यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थकों का यह भी मानना है की इसे लागु करने से राजनीती स्तर पर भी वोट बैंक एवं धर्म की राजनीती को विराम मिलेगा एवं विकास की राजनीति पर मुख्य चर्चा होगी. इससे नीसंदेह देश की प्रगति एवं तरक्की में वृधि होगी.
समान नागरिक संहिता के नुकसान : Common Civil Code Kya Hai
अब बात करते हैं की क्या समान नागरिक संहिता के नुकसान भी हैं तथा समान नागरिक संहिता के विरोध के मुख्य कारण क्या हैं. Common Civil Code Kya Hai इसके विरोधियों का मानना है की समान नागरिक सहिंता लागु करने से कुछ धर्मो के ऊपर जबरदस्ती दुसरे धर्मो के तरीको को थोपा जाना होगा. Equal Civil Code के विरोधियों का यह भी मानना है की इसे लागु करके धर्म निजिता को दबाया जा सकता है.
विश्व में Common Civil Code लागु करने वाले देश
अगर हम बात करें की विश्व के किन देशो में यह लागु हैं तो इन देशो में अमेरिका, मिस्र यूरोप के कुछ देश जिनमे ग्रेट ब्रेटन, आयरलैंड भी हैं. साथ ही साथ बांग्लादेश एवं पाकिस्तान में भी Common Civil Code लागु हैं.
समान नागरिक संहिता किस राज्य में लागू है
यह बहुत कम लोगो को मालूम होगा एवं आपको शायद यह जानकर हैरानी होगी की भारत के एक राज्य में Common Civil Code को लागु किया गया हैं. यह राज्य है गोवा. गोवा में राज्य के बनने के समय से ही इसे लागु कर दिया गया था.
कॉमन सिविल कोड के बारे में आप यहाँ भी देख सकते हैं
उम्मीद करते हैं की Common Civil Code से सम्बंधित प्रश्न के उत्तर को अब आप भली भांति बता सकते हैं.
FAQs on Common Civil Code Kya Hai
आइये अब उन प्रश्नों के उत्तर जानने की कोशिश करते हैं जो को Common Civil Code के बारे में लोग अक्सर पूछा करते हैं
समान नागरिक संहिता के फायदे और नुकसान बताइए.
समान नागरिक संहिता के पक्ष एवं विपक्ष में बहुत सारे लोगो के अलग अलग मत हैं. समान नागरिक संहिता के फायदे और नुकसान को ऊपर समझया गया है. कृपया पोस्ट को देखें.
समान नागरिक संहिता पर निबंध लिखें.
समान नागरिक संहिता को ऊपर पोस्ट में विस्तार से बताया गया है. आप पोस्ट को देख कर समान नागरिक संहिता पर निबंध लिख सकते हैं.
समान नागरिकता कानून क्या है?
कृपया पोस्ट को देखें. सारी जानकारी दी गयी है.
भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता क्या है?
समान नागरिक संहिता के पक्ष में लोगो ने तर्कों द्वारा बताया है की देश के सभी नागरिको के समान अधिकार देने से विभिन्न प्रकार की दिए जाते हैं तो इस से सभी नागरिको में देश के प्रति देशभावन बढ़ेगी एवं देश तरक्की को प्राप्त होगा राजनीती स्तर पर भी वोट बैंक एवं धर्म की राजनीती को विराम मिलेगा एवं विकास की राजनीति पर मुख्य चर्चा होगी. इससे नीसंदेह देश की प्रगति एवं तरक्की में वृधि होगी.
गोवा में समान नागरिक संहिता के बारे में बताएं.
भारत देश में गोवा ही एक ऐसा देश है जिसमे समान नागरिक संहिता को लागु किया जा चुका है
Tell more about Common Civil Code In Uttar Pradesh.
अभी उत्तर प्रदेश में Common Civil Code लागु नहीं किया गया है.
Tell me more about Common Civil Code In GOA.
अगर हम बात करें की common civil code की बात करें तो गोवा का जिक्र अवश्य ही आएगा. आपको जानकार हैरानी होगी की भारत देश में गोवा ही एक ऐसा देश है जिसमे समान नागरिक संहिता को लागु किया जा चुका है.
What is Common Civil Code को Hindi में क्या कहते हैं?
Common Civil Code को हिंदी में समान नागरिक सहिंता कहते हैं.
दोस्तों उम्मीद करते हैं की अब अगर आपसे कोई प्रश्न करता है की Common Civil Code Kya Hai तो आप इस प्रश्न का उत्तर आराम से दे सकते हैं. फिर भी अगर आपका कोई प्रश्न हो तो कमेंट बॉक्स में पूछना ना भूलें .
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