Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor : A Beautiful Story

हिंदी भाषा अपने आप में एक खजाना लिए हुए है. यह भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषाओँ में से एक है. इस भाषा में हर एक प्रकार के व्यक्ति, घटनाओ या व्यवहार के लिए कोई ना कोई मुहावरा भी है, जिसके पीछे कोई ना कोई सीख भी होती है.

Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor भी एक ऐसा ही मुहावरा है, जिसके बारे में आज हम लोग बात करने वाले हैं. हम इसकी उत्पत्ति एवं इस मुहावरा का क्या अर्थ होता है, इस पर भी बात करेंगे. तो आइये आगे बढ़ते हैं एवं ऊपर दिए गए मुहावरे के बारे में विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं.

Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor:

सबसे पहेले इस मुहावरे या दोहे के शाब्दिक अर्थ को समझ लेते है.

इसका अर्थ होता है की सिर्फ बड़े होने से कुछ नहीं होता, बड़े होने से अच्छा है की आपके काम बड़े या अच्छे होने चाहिए. उदहारण के लिए ख़जूर का पेड़ बड़ा तो होता है लेकिन ना ही इसकी छाया होती है एवं फल भी इतने ऊपर लगे होते हैं की कोई खा भी नहीं सकता. अतः आप अहंकार में रहकर बड़े ना होकर, बड़े काम कीजये ताकि आपके आस पास के लोगो का भला हो सके.

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Story Behind Bada Hua To Kya Hua Doha: Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor

आइये अब इस मुहावरे को एक कहानी के द्वारा समझने का प्रयास करते हैं.

एक समय की बात है, एक गाँव में एक व्यक्ति रहता था जो बहुत ही घमंडी और अहंकारी स्वभाव का था. यह व्यक्ति अक्सर अपनी सफलताओं की डिंग मारता रहता थाएवं दूसरों का मजाक उड़ाने में भी कभी भी पीछे नहीं रहता था. इस व्यक्ति को अपनी दौलत पर बड़ा ही घमंड था. इसी के दम पर यह व्यक्ति खुद को नगर सेठ कहलवाता था.

कुछ दिन बाद इस शहर में चुनाव होने वाले थे, इन नगर सेठ साहब को पूरा यकीन था की चुनाव जीत कर वो शहर का मेयर बनने वाले हैं. हालाकिं लोग उसकी पीठ पीछे बोलते थे की Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor, पर सेठ जी के कानों में जूं तक नहीं रेंगती थी.

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वहीँ इसी नगर में एक परोकारी व्यक्ति भी था जो थोडा बहुत वैध विद्या के बारे में जानता था. इसी कारण सब लोग इन्हें वैध जी कहकर बुलाते थे.  वैध जी ने कभी भी किसी गरीब से इलाज के लिए पैसे नहीं लिए थे एवं रात हो या दिन हो कभी भी किसी का इलाज करने से मना नहीं किया था. वैध जी की इन्ही आदतों के कारण वो नगर भर में पसंद किये जाते थे.

अचानक एक दिन, नगर में एक भयानक तूफ़ान आया, जिसमें तेज़ हवाएँ चली एवं भारी बारिश हुई. बारिश के कारण पुरे नगर में बाढ़ आ गयी. हर तरफ त्राहि त्राहि फ़ैल गयी. बीमारी, भुखमरी इत्यादि ने पुरे नगर को अपनी चपेट में ले लिया.

नगर सेठ साहब चुपचाप से अपने घर के अंदर ही अंदर बैठे रहे एवं मन हे मन खुश होते रहे की उनके पास इतनी दौलत एवं समान है की उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. (आपसे अनुरोध है की Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor को समझने के लिए आप इन examples को ध्यान से देखें )

Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor

वहीँ पर वैध जी ने ना दिन देखा ना रात एवं भूखे एवं बीमार लोगो की सेवा में रात दिन एक कर दिए. वैध जी ने तूफ़ान एवं उसके बाद फैली बीमारियों से जरा भी नहीं घबराते हुए पुरे शहर के लोगो की मदद की.

कुछ दिन बाद, जब तूफ़ान का असर कम हुआ तो नगर में धीरे धीरे सब सामान्य होने लगा.

फिर चुनाव का समय आया, नगर सेठ को पूरा यकीन था की अपनी दौलत एवं शक्ति के बल पर वो जीतने वाला है, परन्तु आस-पास के लोगो ने वैध जी को नगर सेठ के विरुद्ध खड़ा किया.

जब चुनाव का परिणाम आया तो नगर सेठ के होश उड़ गए, वैध जी को लोगो ने एकतरफा जिता दिया एवं वैध जी भरी मतों से शहर के मेयर चुने गए.

लोगो ने नगर सेठ की मजाक उड़ाते हुए कहा की Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor. तुम भले ही कितने भी अमीर एवं शक्तिशाली क्यों ना हो पर जब तुम किसी के कुछ काम ही नहीं आ सकते तो कैसे उम्मीद करते हो की दुसरे तुम्हारे काम आएंगे एवं तुम्हे शहर का मेयर चुनेगें. तुमसे तो बहुत अच्छा एक गरीब वैध है जिसने मुसीबत पड़ने पर पूरे नगर के लोगो की मदद की.

यह सुनकर नगर सेठ की आखें खुल गयी एवं उसने परोपकार का रास्ता पकड़ लिया.

उम्मीद करते हैं की ऊपर दी गयी एक छोटी सी कहानी से आपको भी इस मुहावरे  ka Arth एवं इसके पीछे छिपी हुई सीख मिली होगी.

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Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor मुहावरे का श्रोत:

अगर हम इस दोहे की बात करें तो यह मुहावरा संत कबीरदास के द्वारा बोला गया था, एवं कबीर वाणी का प्रमुख हिस्सा है. आइये इसका पूरा भाग को समझने का प्रयास करते हैं.

Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor, Panchhi Ko Chhaaya Nahin Phal Laage Ati Door.

यानि के ताड़ या ख़जूर जैसा होकर (अर्थात घमंडी एवं स्वार्थी होकर) आप किसी काम के नही हो सकते. वैसे ही जैसे ख़जूर का पेड ना तो किसी को छाया देता है एवं ना ही किसी को फलों का सुख देता है. वैसे कही कही पर Khajoor की spelling को Khajur भी कहा गया है. यानी की अब मुहावरा हो गया Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajur, तो आप इस बात का ध्यान रखें की दोनों मुहावरें एक ही हैं.

संत कबीरदास ने इसी प्रकार हमारी सामान्य जिन्दगी से सम्बंधित बहुत सारे ज्ञान दिया है जिसे  कबीरदास अमृतवाणी के नाम से जाना जाता है आप इसके बारे में यहाँ देख सकते हैं-

Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor का निष्कर्ष:

अतः इस पोस्ट में हमने देखा की किस प्रकार इस मुहावरे Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor (या proverb) का प्रयोग हम अपनी निज़ी एवं दैनिक जीवन में कर सकते हैं, इसका क्या अर्थ होता है एवं इसका मूल जन्म कहाँ से हुआ था. उम्मीद करते हैं की आज की पोस्ट आपको पसंद आई होगी, हमे कमेंट बॉक्स के द्वारा जरुर बताएं. आप हमे बुकमार्क भी कर सकते हैं ताकि इसी प्रकार की रोचक पोस्ट आप तक पहुंचती रहें.

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